भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

एक गाँव का नाम / कुमार विकल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वह आधी रात गये

इस शहर में आता है

जब लोग

दिन भर की पराजय से पीडित

बिस्तरों में तकियों से लड़ रहे होते हैं

या कामयाबी के नशे में धुत्त होते हैं

वह शहर की दीवारों पर पोस्टर चिपकाता है

और घरों के दरवाज़ों पर एक गाँव का नाम लिख जाता है

सुबह जब लोग उठते हैं

तो सारे शहर में

एक दहशत—सी फैल जाती है

लोग चुप हैं

कोई किसी से कुछ नहीं कहता

घरों,होटलो,दफ़्तरों की

दीवारों पर

गुप्तचर कान उग आए हैं

लेकिन स्कूल से लौट कर मेरा बच्चा

जब अपनी भूगोल की पुस्तक में

उस गाँव का नाम नहीं ढूँढ पाता

तो मुझसे पूछ्ता है

कि यह गाँव देश के नक़्शे पर क्यों नहीं है

मैं बहुत डर गया हूँ

और् चुप हूँ

जबकि मैं जानता हूँ

छह अक्षरों वाला

छोता—सा षब्द

सिर्फ़ एक गाँव१. का नाम नहीं

पूरे देश का नाम है.

१. नक्सलबाड़ी