एक चिड़ो एक चिड़ी देखो / सांवर दइया

एक चिड़ो एक चिड़ी देखो
मन में हरख हर घड़ी देखो

मन हुवै मत्तै ई बेकाबू
रुत हुई जादू छड़ी देखो

शरद पून्यूं अर तूं सागै
लागी अमी री झड़ी देखो

आज तो थे मुळक बतळावो
रोवण नै उमर पड़ी देखो

आवो बांचो ढाई आखर
मन-पोथी खुली पड़ी देखो

इस पृष्ठ को बेहतर बनाने में मदद करें!

Keep track of this page and all changes to it.