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एक चेहरा जो बहुत हँसता हुआ / सिया सचदेव

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एक चेहरा जो बहुत हँसता हुआ
है मगर अंदर से वो टूटा हुआ

सांस लेती हूँ तो उठता है धुवाँ
किसने देखा दिल मेरा जलता हुआ

आओ कुछ पल तो सुकूँ से काट लें
जब तलक़ है दर्द ये सोया हुआ

ज़ख्म देने वाले तेरा शुक्रिया
सोचती हूँ जो हुआ अच्छा हुआ

सच कभी बहरूप भरता ही नहीं
सच के आगे झूठ फिर रुस्वा हुआ

मुझसे दामन सब्र का छूटा नहीं
जो रज़ा उसकी थी बस वैसा हुआ

टूट के बरसी घटा दिल पर मेरे
दिल में है तूफ़ान सा उठता हुआ

आँधियाँ हों बारिशें हों धूप हो
पाओगे जीवन मेरा ठहरा हुआ

सीख ले अब बिन मेरे जीना सिया
चल दिया उठ कर वो ये कहता हुआ