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एक चेहरा जो मेरे ख्वाब सजा देता है / मोहसिन नक़वी
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एक चेहरा जो मेरे ख्वाब सजा देता है
मुझ को मेरे ही ख्यालों में सदा देता है
वो मेरा कौन है मालूम नहीं है लेकिन
जब भी मिलता है तो पहलू में जगा देता है
मैं जो अन्दर से कभी टूट के बिखरूं
वो मुझ को थामने के लिए हाथ बढ़ा देता है
मैं जो तनहा कभी चुपके से भी रोना चाहूँ
तो दिल के दरवाज़े की ज़ंजीर हिला देता है
उस की कुर्बत में है क्या बात न जाने “मोहसिन”
एक लम्हे के लिए सदियों को भुला देता है