एक जर्मन युद्ध पुस्तिका से / बैर्तोल्त ब्रेष्त / अनिल एकलव्य
ऊँची जगहों पर आसीन लोगों में
भोजन के बारे में बात करना अभद्र समझा जाता है।
सच तो यह है : वो पहले ही
खा चुके हैं।
जो नीचे पड़े हैं, उन्हें इस धरती को छोड़ना होगा
बिना स्वाद चखे
किसी अच्छे मांस का।
यह सोचने-समझने के लिए कि वो कहाँ से आए हैं
और कहाँ जा रहे हैं
सुन्दर शामें उन्हें पाती हैं
बहुत थका हुआ।
उन्होंने अब तक नहीं देखा
पर्वतों को और विशाल समुद्र को
और उनका समय अभी से पूरा भी हो चला।
अगर नीचे पड़े लोग नहीं सोचेंगे
कि नीचा क्या है
तो वे कभी उठ नहीं पाएँगे।
भूखे की रोटी तो सारी
पहले ही खाई जा चुकी है
मांस का अता-पता नहीं है। बेकार है
जनता का बहता पसीना।
कल्पवृक्ष का बाग़ भी
छाँट डाला गया है।
हथियारों के कारख़ानों की चिमनियों से
धुआँ उठता है।
घर को रंगनेवाला बात करता है
आने वाले महान समय की
जंगल अब भी पनप रहे हैं।
खेत अब भी उपजा रहे हैं
शहर खड़े हैं अब भी।
लोग अब भी सांस ले रहे हैं।
पंचांग में अभी वो दिन नहीं
दिखाया गया है
हर महीना, हर दिन
अभी खुला पड़ा है। इन्हीं में से किसी दिन
पर एक निशान लग जाने वाला है।
मज़दूर रोटी के लिए पुकार लगा रहे हैं
व्यापारी बाज़ार के लिए पुकार लगा रहे हैं।
बेरोज़गार भूखे थे। रोज़गार वाले
अब भूखे हैं।
जो हाथ एक-दूसरे पर धरे थे अब फिर व्यस्त हैं।
वो तोप के गोले बना रहे हैं।
जो दस्तरख़्वान से मांस ले सकते हैं
सन्तोष का पाठ पढ़ा रहे हैं।
जिनके भाग्य में अंशदान का लाभ लिखा है
वो बलिदान मांग रहे हैं।
जो भरपेट खा रहे हैं वही भूखों को बता रहे हैं
आने वाले अद्भुत्त समय की बात।
जो अपनी अगवानी में देश को खाई में ले जा रहे हैं
राज करने को बहुत मुश्किल बता रहे हैं
सामान्य लोगों के लिए।
जब नेता शान्ति की बात करते हैं
तो जनता समझ जाती है
कि युद्ध आ रहा है।
जब नेता युद्ध को कोसते हैं
लामबन्दी का आदेश पहले ही लिखा जा चुका होता है।
जो शीर्ष पर बैठे हैं कहते हैं : शान्ति
और युद्ध
अलग पदार्थों से बने हैं।
पर उनकी शान्ति और उनके युद्ध
वैसे ही हैं जैसे आन्धी और तूफ़ान।
युद्ध उनकी शान्ति से ही उपजता है
जैसे बेटा अपनी माँ से
उसकी शक़्ल
अपनी माँ की डरावनी शक़्ल से मिलती है।
उनका युद्ध मार देता है
हर उस चीज़ को जिसे उनकी शान्ति ने
छोड़ दिया था।
दीवार पर लिख दिया गया :
वो युद्ध चाहते हैं।
जिस आदमी ने यह लिखा
वो पहले ही गिर चुका है।
जो शीर्ष पर हैं कहते हैं :
वैभव और कीर्ति का रास्ता इधर है।
जो नीचे हैं कहते है :
क़ब्र का रास्ता इधर है।
जो युद्ध आ रहा है
वो पहला नहीं होगा। और भी थे
जो इसके पहले आए थे।
जब पिछला वाला ख़त्म हुआ
तब विजेता थे और विजित थे।
विजितों में आम लोग भी थे
भुखमरे। विजेताओं में भी
आम लोग भुखमरी का शिकार हुए।
जो शीर्ष पर हैं कहते हैं साहचर्य
व्याप्त है सेना में।
इस बात का सच देखा जा सकता है
रसोई के भीतर।
उनके दिलों में होना चाहिए
वही एक शौर्य। लेकिन
उनकी थालियों में
दो तरह के राशन हैं।
जहाँ तक कूच करने की बात है उनमें से कई
नहींं जानते
कि उनका शत्रु तो उनके सिर पर ही चल रहा है।
जो आवाज़ उनको आदेश दे रही है
उनके शत्रु की आवाज़ है और
जो आदमी शत्रु की बात कर रहा है
वो खुद ही शत्रु है।
यह रात का वक़्त है
विवाहित जोड़े
अपने बिस्तरों में हैं। जवान औरतें
अनाथों को जन्म देंगी।
सेनाधीश, तुम्हारा टैंक एक शक्तिशाली वाहन है
यह जंगलों को कुचल देता है और सैकड़ों लोगों को भी।
पर उसमें एक खोट है :
उसे एक चालक की ज़रूरत होती है।
सेनाधीश, तुम्हारा बमवर्षक बहुत ताक़तवर है,
यह तूफ़ान से भी तेज़ उड़ता है और एक हाथी से ज़्यादा वज़न ले जा सकता है।
पर उसमें एक खोट है :
उसे एक मेकैनिक की ज़रूरत होती है।
सेनाधीश, आदमी बड़े काम की चीज़ है।
वो उड़ सकता है और मार सकता है।
पर उसमें एक खोट है :
वो सोच सकता है।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल एकलव्य