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एक ज़रा सी दुनिया घर की / विज्ञान व्रत
Kavita Kosh से
एक जरा सी दुनिया घर की
लेकिन चीजें दुनिया भर की
फिर वो ही बारिश का मौसम
खस्ता हालत फिर छप्पर की
रोज सवेरे लिख लेता है
चेहरे पर दुनिया बाहर की
पापा घर मत लेकर आना
रात गये बातें दफ्तर की
बाहर धूप खड़ी है कब से
खिड़की खोलो अपने घर की