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एक जुलाई का गीत / हेमन्त देवलेकर
Kavita Kosh से
बीती छुट्टी गर्मी की
खुली पाठशाला सबकी
मौज-मस्ती की आदतें
जैसे-तैसे भुलाई
आया रे, आया रे, आया एक जुलाई।
नई किताबें, नई कॉपियाँ, बस्ते नए-नए
नए-नए गणवेश, स्कूल के रस्ते नए-नए
उत्साह भरे बच्चों ने शान से गर्दन डुलाई
आया रे, आया रे, आया एक जुलाई।
शाला जाने में होगी बहुतों के जी में मचलन
माँ धमकाकर भेजेगी उनको स्कूल जबरन
उधमखोर बच्चों ने गालों की जोड़ी फुलाई
आया रे, आया रे, आया एक जुलाई।
बस्ते, वॉटर बेग लदा तांगा गाता छुनछुन
रस्ते भर बिखरी पट्टी-पहाड़ों की गुनगुन
फिर लौटा शाला में जीवन, टूटी लंबी सुलाई
आया रे, आया रे, आया एक जुलाई।