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एक तुम्हारा होना / माहेश्वर तिवारी
Kavita Kosh से
एक तुम्हारा होना
क्या से क्या कर देता है,
बेजुबान छत दीवारों को
घर कर देता है ।
ख़ाली शब्दों में
आता है
ऐसे अर्थ पिरोना
गीत बन गया-सा
लगता है
घर का कोना-कोना
एक तुम्हारा होना
सपनों को स्वर देता है ।
आरोहों-अवरोहों
से
समझाने लगती हैं
तुमसे जुड़ कर
चीज़ें भी
बतियाने लगती हैं
एक तुम्हारा होना
अपनापन भर देता है ।