एक दिन के लिए मुझे अपनी प्रेमिका समझिए / मणिका दास
एक दिन के लिए मुझे अपनी प्रेमिका समझिए
एक दिन के लिए मुझे लिखिए एक प्रेम की कविता वाला ख़त
एक दिन के लिए मेरे होंठों पर होंठ रखकर बाँटिए
आप अपने हृदय की हरियाली
आप अगर एक दिन के लिए मुझे प्रेमिका समझेंगे
जीवन भर मैं अँधेरे में भटकने के बावजूद बटोरूँगी चाँदनी के टुकड़े
फेंक दूँगी एकाकीपन की पोशाक
दिन-तारीख़ नहीं बताऊँगी
आप आ सकते हैं किसी भी वक़्त
दरवाज़ा-खिड़की विहीन मेरे खाली घर में
क्या माँगेंगे भला आप
एक दिन के लिए मुझे अपनी प्रेमिका समझने के बदले में
रहेगी क्या आपकी कोई शर्त
या मुझे पूरी नहीं करनी पड़ेगी कोई माँग
मेरे अधूरे सपनों को एक दिन के लिए दे पाएँगे क्या
पूर्णता
क्या आप हत्या कर सकते हैं मुझे जकड़ने वाली यंत्रणा के ऑक्टोपस की
क्या आप धूप का टुकड़ा बनकर एक दिन के लिए आ सकेंगे
मेरे सूने आँगन में
दे नहीं सकती आपको चाँदनी का कोई उपहार
कर नहीं सकती किसी लम्बे सफ़र के लिए साथी बनने का वादा
वचन देती हूँ आपको
आप जिस दुःख नामक नदी को ढोते फिर रहे हैं
उसकी ख़ातिर अपने सीने में खोदूँगी एक और नदी
बिखेर दूँगी आपके सीने में ढेर सारे प्रेम के बीज
आप आएँगे क्या बारिश बनकर एक दिन के लिए
मेरे सूखे हृदय में
समझेंगे क्या मुझे अपनी प्रेमिका
एक दिन के लिए...
मूल असमिया से अनुवाद : दिनकर कुमार