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एक दिन तुम बहुत बड़े बनोगे / रविन्द्र जैन
Kavita Kosh से
एक दिन, तुम बहुत बड़े बनोगे एक दिन
चाँद से चमक उठोगे एक दिन
will you forget me then?
how i can, tell me how i can?
मान लो कहीं की शहज़ादी
बैठी हो तुम्हारे लिये आँखें बिछाए
और उसे ये ज़िद हो कि वो शादी
किसी से ना करेगी तुम्हारे सिवाय
will you forget me then?
yes i can, if only you can
एक दिन, ले गया तुम्हे जो कोई अजनबी
ग़ैर की जो हो गई ये ज़िंदगी
will you forget me then?
gentleman, oh no gentleman
साँस साँस में तुम्हारी ख़ुशबू
किस तरह जियूँगा बोलो तुमको भुलाके
दिल पे जाँ पे कर चुकी हो जादू
जानती हो पूछती हो फिर भी सता के
gentleman, sorry gentleman