भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

एक दिन है देश / गुल मकई / हेमन्त देवलेकर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

एक देश है दिन
सूरज उसका राष्ट्रीय ध्वज
हर एक जो
गुंथा हुआ काम में -
सलामी दे रहा
फहराते झंडे को
हर एक आवाज़
जो किसी क्रिया से उपजी है -
राष्ट्र-गान है।