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एक दिया / मुकुंद कौशल
Kavita Kosh से
आंसू झन टपकावे
सुरता के अंचरा मा
तुलसी के चौंरा मा
एक दिया घर देवे।
मोर लहूट आवट ले
सगुना संग गा लेवे
रहिबे झन लांघन तै
नून भात खा लेवे
बांधि बांधि रखिवे झन
आंखी के पूरा ला
आंसू के नंदिया मा
एक दिया धर देवे
गांव हंसए देख देख
अइसन तै रोवे मन
कुधरी के भांठा मा
आंसू ला बोबे झन
झन पोसे रहिबे तै
सपना के पीरा ला
निंदिया के डेहरी मा
एक दिया धर देवे।