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एक दीप ले नाम हमारा द्वारे पर रख जाना / रंजना वर्मा

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एक दीप ले नाम हमारा
द्वारे पर रख जाना॥

एक बार थे सप्तपदी में किए अग्नि के फेरे
बार-बार क्या यह दीपावली उन्हीं पलों को टेरे?

दीप दीप है जल कर कहता-
साथी साथ निभाना।
एक दीप ले नाम हमारा द्वारे पर रख जाना॥

यादों की थाती सपनों के सम्बल हुए पराये,
मुट्ठी भींच समय को रोकूँ फिर भी बहता जाये।

सरिता के जल मुक्त पवन ने
सीखा है बह जाना।
एक दीप ले नाम हमारा द्वारे पर रख जाना॥

स्नेह एक एहसास उसे क्या बाँध रखूं पलकों में,
सुमनों की सुगंध को कैसे उलझा लूँ अलकों में।

किस अनछुई छुअन को छूकर
है मन को तर जाना।
एक दीप ले नाम हमारा द्वारे पर रख जाना॥