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एक दूसरे को / मनीष मूंदड़ा
Kavita Kosh से
चलो कुछ लिखें
कुछ सोचे
चलो आज फिर एक दूसरे को खोजें
कुछ समझें
कुछ समझाएँ
चलो आज फिर एक दूसरे को मनाएँ
कुछ देखें
कुछ दिखाएँ
चलो आज फिर एक दूसरे को समझ आएँ
कुछ तुम बोलो
कुछ हम बोले
चलो आज एक दूसरे को सुने सुनाएँ