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एक देश और मरे हुए लोग-1 / विमलेश त्रिपाठी
Kavita Kosh से
एक मरा हुआ आदमी घर में
एक सड़क पर
एक बेतहाशा॔ भागता किसी चीज़ की तलाश में
एक मरा हुआ लालकिले से घोषणा करता
कि हम आज़ाद हैं
कुछ मरे हुए लोग तालियाँ पीटते
कुछ साथ मिलकर मनाते जश्न
हद तो तब
जब एक मरा हुआ संसद में पहुँचा
और एक दूसरे मरे हुए पर एक ने जूते से किया हमला
एक मरे हुए आदमी ने कई मरे हुए लोगों पर
एक कविता लिखी
और एक मरे हुए ने उसे पुरस्कार दिया
एक देश है जहाँ मरे हुए लोगों की मरे हुए लोगों पर हुकूमत
जहाँ हर रोज़ होती हज़ार से कई गुना अधिक मौतें
अरे कोई मुझे उस देश से निकालो
कोई तो मुझे मरने से बचा लो