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एक नज़्म / शहनाज़ इमरानी
Kavita Kosh से
तुम्हारे स्वागत में फूल कम पड़ गए हैं
बादलों ने बरसने का प्रोग्राम बदल दिया है
आओ हम ज़िन्दगी की बातें करें
में तुम्हारे साथ बातें करते हुए हँसना चाहती हूँ
हम डट कर उम्दा खाना खाएँगे
और कॉफ़ी भी पिएँगे
इसके बाद तुम मुझे मार देना
अगर तुम यह मौक़ा चूक गए तो
मैं तुम्हें मार दूँगी
माफ़ी चाहती हूँ दोस्त
यही तो हमारा दस्तूर है।