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एक नया कल / मनीष मूंदड़ा
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तुम हो आज मेरे साथ
कल का पता नहीं
वैसे आने वाले कल का पता होता ही किसे है
लोग तो बीते कल मैं ही अपनी जि़ंदगी जी लेते हैं
पर मैं
तुम्हारे साथ मेरे आज में जीना चाहता हूँ
कल की चिंता ना मुझे थी
और अब जो तुम मेरे साथ हो तो
मुझे आज की भी फि़क्र नहीं
तुम और मैं शायद आज के लिए ही बने हैं
आओ इस आज की जि़ंदगी को जि़ंदादिली से जी लें
एक नए कल को जन्म देने के लिए