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एक निर्वासित हवा / गुल मकई / हेमन्त देवलेकर
Kavita Kosh से
कुछ दिनों बाद यह काम भी
ख़त्म हो जाएगा
कुछ दिनों बाद फिर भटकूंगा
नए काम की तलाश में
कुछ दिनों तक रहूँगा सिर्फ़ प्रतीक्षा में
पता नहीं किस चीज़ की
कुछ दिनों बाद लौटूँगा घर अपने
लूँगा चले गए पिता की जगह
और खर्च करूंगा रुपये
कुछ दिनों बाद पूछूंगा सवाल
कहाँ है घर मेरा
मैं कुछ दिनों के लिए
फिर चल पड़ूँगा
एक घर की तलाश में