एक पारदर्शी लम्हा / पंखुरी सिन्हा
पूरी तरह पारदर्शी हो गया था लम्हा
आर-पार देखा जा सकता था उसे
डूबते-उतरते प्यार में उसके
आख़िर कह क्या रहा है वह
पारदर्शी हो गए थे चिड़ियों के सारे रंग
दूधिया हो गया था किंग बर्ड ऑफ़ पैराडाइज़ का सफ़ेद
कमरे में फैल गया था कथैयी उसका
समुद्र से उठते भाप की तरह
रंगीन किसी भाप की तरह
जैसे उड़ेला गया हो गीला रंग ढेरों
चित्रकार की चित्रशाला में
जैसे कमरे को रंग जाए कोई जादू से
कि क्या प्यार कह रहा है वह
कि ऐसी कैसी लड़ाई कोई ?
उससे भला उसकी क्या लड़ाई ?
हाँ, प्यार ही कह रहा है वह
प्यार जो जन्म देता है
पुनर्जन्म
वही प्यार
अपनी नीली नुकीली टाँगों से
फुदकता हुआ
ये कारावारी नदी का पक्षी
नीला सफ़ेद पक्षी
जो चला आया है
करीब उसके
गर्दन पर उसकी
फड़फड़ाता
चुभोता नीले नाख़ून
जब सृजन हो सब कुछ
सारी जीवनी-शक्ति का अर्थ जन्म देना
दूत उसका कि सन्देश उसका
कि प्रेम उसका
मँडराना
एक अदृश्य पक्षी का
कमरे में उसके
समाना उसके प्राण-पण में
और आना नहीं पकड़ में ।