भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

एक प्यारी सी बच्ची / अनुभूति गुप्ता

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सागर में
मखमली लहरों का
ऐसे
हर्ष-हिलोर होना,

जैसे,
एक प्यारी-सी बच्ची का
घर के आँगन में
खेलना-कूदना।

धरती पर
नन्हें-नन्हें बादलों का
रूक-रूक के
बरसना,

जैसे,
एक प्यारी-सी बच्ची की
आँखों से
अश्रुओं की नव-धारा का
बहना।

पक्षियों के
पंख टूटने पर
उनका उदास होना,

जैसे,
एक प्यारी-सी बच्ची का
अपने
पसंदीदा खिलौने के
टूटने पर
सिसकियाँ भरते हुए रोना।