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एक प्रेम सम्वाद / भारत यायावर
Kavita Kosh से
तुझसे मेरा रिश्ता है
तू एक फरिश्ता है
तुम भूल भी जाओ तो
ये दिल तो बावस्ता है
मैं क्या तुझसे मांगूँ
तू खूब समझता है
पहचान रहा था मैं
तू मेरा रस्ता है
मैं खोकर बैठा हूँ
तू पाकर रिसता है
ऊपर-ऊपर उड़कर
यह मेघ बरसता है
भीतर-भीतर मेरा
ये दिल तो करकता है
आराम नहीं पल भर
यह जीवन घिसता है
खुद को खोकर पाया
यह क्योंकर दिखता है