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एक फाँक अन्हार: एक फांक इजो / रामलोचन ठाकुर

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साँझ पड़िते
अन्हारक गर्त्तमे
हेरा जाइछ गाम
एकटा आशंका
एकटा आतंक
पसरि जाइछ
सभ ठाम
गाम
जतए भारतक आत्मा रहैछ।

साँझ पड़िते
शहर बनि जाइछ
तिलोत्तमा
नित नूतन आभूषण
नव-नव साज
रंग-विरंगक आलोकक सम्भार
एकटा आकांक्षा।
एकटा उन्माद
शहर
जतए भारतक भाग्य विधाता रहैत छथि