एक बच्ची की पापा से दो बातें / प्रकाश मनु
क्यों पापा, आप भी करते हैं क्या खूब कमाल की बातें
कि रावण आया था आपके दफ्तर
और उसकी मूंछें थीं ऐन बड़ी-बड़ी
मूंछें थी या गुलमुच्छे (गलमुच्छे ही कहते हैं न पापा?)
आपने उन्हें हाथ से छुआ था पापा सच्ची मुच्ची
डर नहीं लगा!
देखो झूठ न बोलना पापा
पापा सब रावणों की क्या मूंछे होती हैं
ऐसी-ऐसी टेढ़ी-बांकी रावण बड़े गन्दे होते हैं न पापा
तभी तो आप बोल रहे थे उस रोज मम्मी से
बॉस साला रावण की औलाद है...रावणों को
कौन बनाता है पापा? कैसी होती है
रावण की औलाद?
अर्रे! तो क्या वो गन्दा वाला नहीं था पापा? तो फिर
कैसा रावण रामलीला में कैसे
करता था पार्ट क्यों फिर जला दिया
गया पापा पिछली दफा और फिर बच कैसे गया
ये तो कुछ चक्कर ही अजब है पापा!
चक्कर तो मगर एक और भी है कि अगर सारे गंदे ही
होते हैं रावण तो मैम तो मेरी पापा
मारती बहुत है कोई बात नहीं सुनती सीट पर
खड़ा कर देती है क्या वो भी
रावण होती है पापा
सारे दिन बस सिर खाती रहती है मोटी वाली मैम कि लिखो
लिखो लिखो लिखने से जैसे हम
बन जाएंगे कलक्टर मेरी कापी एक दिन
डस्टबिन में फंेक दी थी पापा (कितनी गंदी बात!)
उस पर कवर नहीं था बस्स!
कवर क्या कापी से ज्यादा
जरूरी होता है पापा
पापा मेरे लिए एक बन्दूक लाना
असली धुएं वाली और एक स्केल भी
मैम को मारूंगी
वो जाने क्या समझती है अपने आपको
खिलौने वाले कमरे में कभी जाने ही नहीं देती
ये भी नहीं समझती कि फिर ये खिलौने
हैं किस काम के अगर बच्चे ही न खेलें तो!
अच्छा एक बात बताओ पापा
हमें खिलौने के बगैर अच्छा नहीं लगता
तो खिलौने भी तो हमारे बिना उदास हो जाते
होंगे पापा है न पापा?
अजी लो!
पकड़ी गई न आपकी भी चोरी
आप हमारे लिए खिलौने कब लाएंगे पापा आज तो
बता ही दीजिए साफ-साफ
आप तो कहते थे न दो गुड़ियां दो गुड्डे
फिर खूब शादी करना उनकी गरमियों भर
दोनों बहनें मजे से
छुट्टियां तो पापा गरमी की बीत ही गईं
तो फिर कब करेंगे हम शादी कब होंगे बच्चे
नन्हीं को कब सिखाऊंगी गुड्डे-गुड़िया वाला खेल?
और ये जो मकान नमबर ग्यारह सौ इकतीस का
टिंकू है न, बहुत खराब है पापा
अपने खिलौने तो बिल्कुल छूने ही नहीं देता
और मेरा एक ही भालू था वो फाड़ दिया
गरदन तो अब लटक ही गई एक आंख
भी गई
एक बात बताओ जरा पापा टिंकू के पापा
इतने खिलौने लाते हैं कहां से इतने इतने इतने
चाबी वाले लाल-पीले रंगीन खिलौने शोविंडो
में रखते हैं सजाकर
उनके पास बहुत पैसे होते होंगे पापा
आपसे ज्यादा पढ़े हुए हैं वो क्या
आपसे ज्यादा करते हैं मेहनत?
पर मैंने तो देखा है पापा कि आप तो
लिखते ही रहते हैं दिन भर कभी-कभी सुबह-सुबह
घर से निकल जाते हैं-काम करना है!
मम्मी को बताकर और हम सोते ही रह जाते हैं
(जागते हैं तो बहुत बुरा लगता है पापा
पर मम्मी कहती है काम जरूरी है
उसी से तो पैसे आते हैं घर में!)
तो फिर...
पैसे ज्यादा क्यों नहीं आते पापा?
क्या पढ़ने-लिखने से कुछ नहीं होता पापा
न मेहनत से? तो फिर झूठ है न आपकी बात
हमसे फिर क्यों कहते हैं खूब लिखो
खूब पढ़ो बेटी नम्बर लाओ अच्छे
मेहनत है सफलता की कुंजी...
अरे पापा आप तो उदास हो गए बच्चों को
पूछने नहीं चाहिए न ऐसे-ऐसे सवाल
आपकी आंख में आंसू! लाओ मैं
पोंछ देती हूं पापा पापा आप हंसना सीखो खूब
खूब...मैं किसी से नहीं कहूंगी मेरे पापा
को पैसे मिलते हैं जरा कम कुछ नहीं मांगूगी आपसे
एक ही खिलौने से चला लूंगी काम मेरा भालू वैसे ही
सबसे बड़ा है क्या हुआ जो एक आंख फूट गई उसकी
झूल गई है गरदन है न पापा?
अब तो मान भी जाओ न पापा हंसो हंसो
हंसो तो जरा बेटी के लिए
हा हा हा हा हा हा हा हा
हा हा हा हा
जी हां, ऐसे ही...मेरे अच्छे पापूजी!