भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
एक बच्चे की मौत / प्रताप सहगल
Kavita Kosh से
वह बच्चा
मेरे लिए अनजाना था
ख़बर थी कि वह
एक शादी के मौक़े पर
किसी पंचतारा होटल के
तरणताल में उतर गया।
जनवरी का महीना
धुंध भरी ठंड थी
बच्चा उतरा या फिसला
नहीं मालूम किसी को
पर वह आध घंटे की
खोज के बाद
अतीत हो गया।
नसों में दौड़ता ख़ून
ठंडाने लगता है
कि जैसे बाँध लिया हो
एक सख़्त काली डोर ने
यूँ भविष्य का खुलने से
पहले ही अतीत हो जाना
डाल पर खिलती कोंपल को
पाला मार जाना
खिलने से पहले ही
फूल का टूटना
पेड़ बनने से पहले ही किसी पौधे का कटना
सभी दुःख के सबब होते हैं
लेकिन भविष्य का यूँ
अतीत हो जाना
एक उबलते हुए लावे के
अंधे सैलाब में
उतर जाना है।