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एक बार की बात है / ओसिप मंदेलश्ताम
Kavita Kosh से
एक बार की बात है कोई एक थे ज़नाब
ऐसा नहीं कि पी रखी थी उन्होंने बहुत शराब
पर लगता यह था कि वे नहीं हैं अपने होश में
घर में लगवा लिया उन्होंने भोंपू बड़े जोश में
भोंपू बजा ख़ूब ज़ोर से कई बार जब दनादन
आस-पास के पड़ोसियों का नाराज़ हो गया मन
मोहल्ले के नेता को लोगों ने भेजा उनके पास
गुस्से में वह भरा हुआ था -- कर दूँगा जाके बाँस
तब तक पहुँच गया वहाँ चौकीदार सेबस्त्यान
भोंपू पर मार हथौड़ा उसने, ले ली उसकी जान
भोंपू-मालिक के भी उसने तोड़े सोलह दाँत
गायब हो गई उनके मुँह से ऊपर वाली पाँत
बात यह नहीं कि चौकीदार आदमी था बेहद रूखा
असल बात यह है कि भोंपू फिर कभी न कूका
1934