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एक मंज़र / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
Kavita Kosh से
बाम-ओ-दर ख़ामशी के बोझ से चूर
आसमानों से जू-ए-दर्द रवां
चांद का दुख-भरा फ़साना-ए-नूर
शाहराहों की ख़ाक में गलतां
ख्वाबगाहों में नीम-तारीकी
मुज़महल लय रुबाबे-हसती को
हल्के-हल्के सुरों में नौहा कुनां