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एक मगर जलधारा है / गीत गुंजन / रंजना वर्मा

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मजहब धर्म पंथ चाहे जो सबका एक सहारा है।
अलग अलग लहरें सरिता की एक मगर जलधारा है॥

हिंदू सिख मुसलमां हो या
बौद्ध जैन या ईसाई।
कुछ बन सके न चाहे जग में
किंतु रहें भाई भाई।

स्नेह प्रेम जो हमें सिखाइए मजहब वही हमारा है।
अलग अलग लहरें सरिता की एक मगर जलधारा है॥

सजदा करें खुदा के आगे
या वेदों के मंत्र पढें।
लिये बाइबल प्रभु ईसा की
प्रेयर में जा रहें खड़े।

निराकार साकार शक्ति जो सबने उसे पुकारा है।
अलग अलग लहरें सरिता की एक मगर जल धारा है॥

मैं या तुम या यह या वह हो
परमेश्वर का बेटा है।
बोलो तो फिर एक श्रेष्ठ क्यों
और दूसरा हेठा है ?

नस नस में गतिमान सभी के लाल खून की धारा है।
अलग अलग लहरें नदिया की एक मगर जल धारा है॥