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एक माँ की कविताएँ-3 / नरेन्द्र जैन

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इन दिनों मैं
हर रोज़
सुनाता हूं उसे अपने
बचपन की कहानियाँ

इन दिनों
उसकी आँखों में
एक नवजात चेहरा हँसता रहता है

इन दिनों
आँगन में खड़ी
आम के पेड़ को देखती रहती है वह

देखती रहती है मेरी तरफ़
इन दिनों वह
जैसे
मेरे बचपन के बहाने
अपने बच्चे का
बचपन जी रही है