Last modified on 29 जून 2014, at 10:41

एक मुकुट की तरह / केदारनाथ सिंह

पृथ्वी के ललाट पर
एक मुकुट की तरह
उड़े जा रहे थे पक्षी

मैंने दूर से देखा
और मैं वहीं से चिल्लाया
बधाई हो
पृथ्वी, बधाई हो!