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एक मुक्तक / विलिमीर ख़्लेबनिकफ़ / रमेश कौशिक
Kavita Kosh से
घोड़े जब मरते हैं
— हाँफते हैं
फूल जब झरते हैं
— मुरझाते हैं
तारे जब मरते हैं
— ठण्डे पड़ जाते हैं
आदमी जब मरते हैं
— गीत गाते हैं
अंग्रेज़ी से अनुवाद : रमेश कौशिक