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एक मुट्ठी रेगे-सहरा भेज दे / ज़फ़र गोरखपुरी
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एक मुट्ठी रेगे-सहरा<ref>जंगल की रेत</ref> भेज दे
कोई आन्धी मेरा हिस्सा भेज दे
ज़िन्दगी बच्ची है, इसका दिल न तोड़
ख़्वाब की नन्ही-सी गुड़िया भेज दे
सौ बरस की उम्र लेकर क्या करूँ
चैन का बेक़ैद लम्हा भेज दे
आसमाँ ! बिन्ते - ज़मीं<ref>ज़मीन की बेटी</ref> के वास्ते
सात रंगों का दुपट्टा भेज दे
अक्स, ख़ाका, धुन्ध, परछाई, ग़ुबार
मेरे क़ाबिल कोई तोहफ़ा भेज दे
ज़िन्दगी है मेरी सन्नाटे का पेड़
चहचहाती कोई चिड़िया भेज दे
शब्दार्थ
<references/>