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एक मुरख कासी जी चललै / छोटे लाल मंडल

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एक मुरख कासी जी चललै,
जीवन मुक्ति के पावैले,
नै वे जानै रेले कैन्हो छै,
नै वे टिकट कटावै लै।

एक सज्जन से पुछी लेलकै,
रेलो के डिव्वा कैन्हों छै,
हौ कारो कारो धूवाँ उड़ाय छै,
स्टेशन पर अखनी खांड़ी छै।

की वें मानतै फानियै गेलै,
कुरूवा कांधा पै लपकी के,
सिगरेट पीयैं धूवा फेकै छेलै,
फक फक चिंगारी देखी के।

रे वेकूफ कैन्है करी चापलै,
तोरा डंड आवै पाना छौ,
हम्में आवै नैहैं उतरबौं,
कासिये तक हीं जाना छौ।

रेल सिपाही दौड़ी के अैइलै,
लतियावै छै ई यात्री के,
अफरा तफरी मचियै गेलै
सजा मिललै कुविचारी के।