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एक मृत्यु नीन्द के बाद / रश्मि भारद्वाज
Kavita Kosh से
जैसे नीन्द में चल रहे बुरे सपने के बाद एक ज़ोर की चिहुँक और ज़ारी रहना नींद का,
जैसे चलते-चलते अचानक पैरों से आ लगे पत्थर से छलछला आया लाल रक्त और ज़ारी रहे सफ़र,
जैसे मिल जाना तुम्हारा यूँ ही ताउम्र के लिए और नहीं मिलना एक पल का भी,
जैसे बेतहाशा हँसते हुए कभी ज़बरन छुपाए गए आँसू, और रोते हुए होंठों पर फैली हुई मुस्कान,
वैसे ही मृत्यु नीन्द के बाद का जीवन,
शेष, अनवरत, निरन्तर
लेकिन कहीं थमा हुआ-सा
इच्छा और अनासक्ति
स्वप्न और विरक्ति
प्रेम और अप्रेम के बीच,
जीवन के अन्दर कई टुकड़े जीवन
लेकिन फिर भी जुड़े हुए