एक युवा कवि याद करता है अपने पिता को / रकेल लेन्सरस
अब मैं समझा हूँ कि मैं आपके जीवन में से ऐसे गुज़रा
जैसे नदियाँ गुज़रती हैं पुलों के नीचे से,
उदासीन, अशांत, गर्व से चूर,
वह अस्पष्ट तुच्छता लिए
जो आभास देती हैं तुच्छ चीज़ों के अनंत होने का ।
जो प्रकट है प्रायः
छुपा रहता है अनिश्चितता के तेजोमंडल के पीछे,
स्वाभाविक मंद गति के पीछे,
और अनूठे अनुभवों के बहुत ही सहज तेजोमंडल से
एकदम अलग नहीं किया जा सकता ।
यह जानना कठिन है
कि रोज़-रोज़ जीने का रूखा सौंदर्य,
इतना निस्स्वार्थ,
जो बिना शोर या दिखावे के उत्पन्न हुआ है,
तात्विक रूप से इतना जादुई ओर सुस्पष्ट है
कि जान-बूझ कर उसकी नक़ल करना प्रायः अस्संभव है ।
और यह समझना और भी कठिन है
कि सीधी-सादी चीज़ों के उत्सव का अंत
लगभग हमेशा ही
उत्सव मनाने वालों की इच्छा से बहुत पहले हो जाता है ।
स्थिर हो मैं देखता रहा आपके जीवन के शांत जुलूस
को अपनी आँखों के सामने से गुज़रते
जिसमें थे आपके हारे हुए पतझड़ी स्वप्न
आपकी आतंरिक ख़ुशियाँ
और आपका हलका गुनगुना उनींदापन.
अगर मैं यह कहूँ तो लगता है सही होगा
कि मैंने आपको कभी ऐसा कुछ नहीं दिया जो किसी-ना-किसी तरह
स्वयं मेरे ही लिए उपहार नहीं था.
और फिर भी, मैंने आपसे कितना कुछ चाहा ।
स्थिर आज एक बार फिर, निहत्था जाता हूँ मैं
आपकी अनुपस्थिति के दुखद जुलूस में शामिल होने
जबकि मेरा मन, विभाजित और विस्मित
समझने लगता है कवि की तरह
कि जीवन उत्सुकता से चलता रहता है ।
मैं आपको याद करता हूँ. बहुत ठण्ड है ।
और ठण्ड मुझे ले आती है
आपके सूक्ष्म-संवेदी तरीके के पास,
जैसे आप देते थे मुझे
एक ही साथ, एक भटका हुआ दिल,
लास वेगास के कैसिनो में खुली क़िस्मत,
रेगिस्तान में बारिश,
शहर की सीमा पर मचादो की कविताएँ ।
अब मैं जानता हूँ कि मैं आपके जीवन में से गुज़रा हूँ
आलस में, बिना कुछ सोचे, बिना विस्मय के,
जैसे कि वे सब लोग जीने को प्रवृत रहते हैं
जिन्होंने अभी तक नहीं जाना होता है अभाव को ।
स्पानी भाषा से हिन्दी में अनुवाद : रीनू तलवार