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एक युवा कवि से / महमूद दरवेश

Kavita Kosh से
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हमारी आकृतियों पर ध्यान न देना
और शुरू करना हमेशा अपने ही शब्दों से
जैसे कि तुम पहले ही हो कविता लिखने वाले
और अन्तिम कवि ।

अगर तुम हमारी रचनाएँ पढ़ो,
यूँ करना कि वे हमारी हवाओं का विस्तार न हों
बल्कि यातना की पुस्तक में
हमारे सुनने की काबिलियत को बेहतर बनाएँ
किसी से मत पूछना : मैं कौन हूँ ?
तुम जानते हो तुम्हारी माता कौन है
जहाँ तक तुम्हारे पिता की बात है, वह तुम बन जाना ।

सत्य होता है सफ़ेद, उस पर लिखो
एक कौवे की स्याही से
सत्य काला होता है, उस पर लिखो
किसी मरीचिका की रोशनी से ।
अगर तुम किसी उक़ाब से लड़ना चाहते हो
तो उक़ाब के साथ उड़ो
अगर तुम किसी स्त्री से प्रेम करने लगो
उसे नहीं बल्कि तुम्हें
बनना चाहिए उस इच्छा का अन्त करने वाला ।

जीवन उससे कम जीवन्त है जितना हम सोचते हैं
लेकिन हम बहुत कम सोचते हैं
उस बारे में कि कहीं हम अपनी भावनाओं को बीमार न बना लें
अगर तुम एक ग़ुलाब के बारे में देर तक सोचोगे
तुम किसी तूफ़ान में ज़रा भी हिल नहीं सकोगे
तुम मेरी तरह हो, लेकिन मेरा पाताल स्पष्ट है
और तुम्हारे पास सड़कें हैं जिनके रहस्य कभी ख़त्म नहीं होते
वे उतरती हैं और चढ़ती हैं, उतरती हैं - चढ़ती हैं ।

तुम युवावस्था को कह सकते हो
प्रतिभा की परिपक्वता
या बुद्धिमानी । निस्संदेह यह बुद्धिमत्ता है,
ठण्डी पद्यहीनता की बुद्धिमत्ता ।

हाथ में धरी हज़ार चिड़ियाँ
उस चिड़िया की बराबरी नहीं कर सकतीं जो एक पेड़ पहने होती है
मुश्किल समय में कविता
किसी क़ब्रिस्तान में सुन्दर फूलों जैसी होती है
आसान नहीं होता मिसालें ढूँढ़ना
तो अनुगूँज की सरहद के पीछे
हो जाओ, जो तुम हो
और जो नहीं भी हो ।

भावनाओं की ऊष्मा की मियाद की एक तारीख़ होती है
सो अपने दिल के वास्ते उसे भर लो भावनाओं से
उसका पीछा करो जब तक कि तुम अपने रास्ते न पहुँच जाओ
अपने प्रेमी से यह न कहो कि तुम वह हो
और वह तुम, उसके
उलट बोलो कि हम एक
बड़े शरणार्थी बादल के मेहमान हैं ।

दूसरा रास्ता चुनो, अपनी पूरी ताक़त के साथ, दूर जाओ नियम से
एक वाक्य में कभी जगह न दो दो सितारों को
कम ज़रूरी चीज़ को रखो बेहद ज़रूरी चीज़ के साथ
ताकि सम्पूर्ण बना सको उमड़ते हुए उल्लास को ।

हमारी हिदायतों की विशुद्धता पर कभी यक़ीन न करो
बस, विश्वास रखो गुज़र गए कारवाँ के निशान पर
नैतिकता कवि के हृदय में होती है गोली सरीखी
एक घातक बुद्धिमत्ता ।

जब गुस्सा करो तो किसी साण्ड की तरह
कमज़ोर हो तो बादाम की कोंपल जैसे
जब प्यार करो तो कुछ नहीं, कुछ भी नहीं
प्यार का गीत गाओ तो बन्द कमरे में
रास्ता लम्बा है किसी पुरातन कवि की रात जैसा
मैदान और पहाड़ियाँ, नदियाँ और घाटियाँ ।

अपने सपने के हिसाब से चलो : तुम्हारा पीछा
या तो एक फूल करेगा या फाँसी का फ़न्दा ।
मुझे तुम्हारे उद्यमों को लेकर कोई चिन्ता नहीं
मुझे तुम्हारी चिन्ता उन लोगों को लेकर होती है जो
अपने बच्चों की क़ब्रों पर नाचते हैं ।

और गायकों की नाभियों में लगे
छिपे कैमरों से
जब तुम ख़ुद को मुझसे और दूसरों से अलग कर लेते हो
तुम मुझे निराश नहीं करते ।

तुम्हारे भीतर जो भी मुझ-सा नहीं, वह अधिक सुन्दर होता है ।
आज के बाद से तुम्हारा इकलौता अभिभावक है उपेक्षित भविष्य
जब तुम दुख में गल रहे हो मोममबत्ती के आँसुओं की मानिन्द
सोचो मत
या जब पीछा कर रहे हो अपनी अन्तर्चेतना की रोशनी का
ख़ुद के लिए सोचो : क्या यही सारा मैं हूँ ?

कविता हमेशा अधूरी होती है, तितलियाँ पूरा करती हैं उसे
प्रेम में कोई सलाह नहीं. यह अनुभव की बात है
कविता में कोई सलाह नहीं, यह प्रतिभा की बात है
और हाँ, आख़िर में सब से ज़रूरी बात । सलाम !

अनुवाद : अशोक पाण्डे