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एक रूठे हुए दोस्त के लिए / राजेश कमल
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ये खुशियों के पल
निठल्ले नहीं हैं
बुहार ले जायेगा
वक़्त इन्हें
और हम देखते रह जायेंगे
हाथ हिलाते रह जायेंगे
यूँ ही
और इन विरल लम्हों में
रूठ जाते हो तुम
जरा जरा सी बात पर
सुनो दोस्त
इत्ती सी बात पर रूठो मत
कि आज के दौर में
मुस्कुराने के सबब
मुश्किल से मिलते हैं