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एक लड़की / हरे प्रकाश उपाध्याय
Kavita Kosh से
एक लडकी
सुनती है , देखती है
कि गर्भ में मार दी जा रही
हैं लडकियां
वह सोचती है
वह भी गर्भ में ही
मार दी गयी होती तो.......
यह मर्दानी दुनिया
ये दबाव दुख.....
वह सोचकर
हँसती है न रोती है
चादर तानकर चुप सो
लेती है....!