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एक लाइन में आउते बालक / नवीन सी. चतुर्वेदी
Kavita Kosh से
एक लाइन में आउते बालक।
एक लाइन में जाउते बालक॥
धूर-मट्टी उड़ाउते बालक।
मैल, मन कौ मिटाउते बालक॥
लौट सहरन सूँ आउते बालक।
जोत की लौ बचाउते बालक॥
बन सकै है नसीब धरती पै।
देख पढ़ते-पढाउते बालक॥
रूस [रूठ] बैठी गरूर की गुम्बद।
गुलगुली सों मनाउते बालक॥
किस्न बन कें जसोदा मैया कों।
ता-ता थैया नचाउते बालक॥
कितनी टीचर कितेक रिस्तेदार।
सब की सब सों निभाउते बालक॥
घर की दुर्गत हजम न कर पाये।
हँस कें पत्थर पचाउते बालक॥
और एक दिन असान्त ह्वै ई गये।
सोर कब लौं मचाउते बालक॥