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एक लूला लकड़ियों के बीच / बैर्तोल्त ब्रेष्त / उज्ज्वल भट्टाचार्य
Kavita Kosh से
पसीने से तरबतर
नीचे की ओर झुकते हुए
वह सूखी शाखें ढूँढ़ता है ।
मच्छरों को
सिर झटकाकर भगाता है ।
घुटनों के बीच
लकड़ी की गठरी कस लेता है ।
मुँह बिचकाकर
सीधा खड़ा हो जाता है,
ऊपर की ओर हाथ तान लेता है,
बारिश का पता लगाने के लिए ।
तना हुआ हाथ
एस० एस० के डरावने सिपाही का ।
1953
(एस० एस० – नाज़ी विरोधियों को कुचलने के लिये बनाया गया कुख्यात नाज़ी सिपाहियों का एक विशेष सैन्य-दल)
मूल जर्मन भाषा से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य