भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

एक वह नहीं / गगन गिल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

छूते हैं

उसके पाँव

वे सब

एक के बाद

एक


एक वह नहीं छूती


देखती रहती है
सुकुमार त्वचा उनकी


टक-टक