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एक वादा है किसी का जो वफ़ा होता नहीं / साग़र सिद्दीकी

एक वादा है किसी का जो वफ़ा होता नहीं
वरना इन तारों भरी रातों में क्या होता नहीं

जी में आता है उलट दें उन के चेहरे से नक़ाब
हौसला करते हैं लेकिन हौसला होता नहीं

शमा जिस की आबरू पर जान दे दे झूम कर
वो पतंगा जल तो जाता है फ़ना होता नहीं