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एक शहर को छोड़ते हुए-3 / उदय प्रकाश
Kavita Kosh से
एक दिन हम
नर्मदा में नहाएँगे
दोनों जन साथ-साथ ।
नर्मदा अमरकंटक से निकलती है,
हम सोचेंगे और
न भी निकलती तो भी
साथ-साथ नहाते हम, तो अच्छा लगता ।
फिर हम एक सूखे पत्थर पर
खड़े हो जाएँगे... धूप तापेंगे ।
फिर खूब अच्छे कपड़े पहनेंगे
ख़ूब अच्छा खाना खाएँगे
ख़ूब अच्छी-अच्छी बातें करेंगे
एक ख़ूब अच्छे घर में बस जाएँगे ।
हमें ख़ूब अच्छी नींद आया करेगी
रातों में और
हमारा ख़ूब-ख़ूब अच्छा-सा जीवन होगा ।
ताप्ती, देखना
क्या मुझे बहुत विकट हँसी आ रही है ?