एक शहर मेरे भूगोल से लापता / गीताश्री
एक शहर मेरे भूगोल से लापता हो गया है
उसकी खोज नहीं करना चाहती मैं ,
अपने साथ सारी ख्वाहिशें ले गया
वक़्त की निर्ममता ने मिटा दिया उसका वजूद,
अपने होने के कुछ रक्तिम निशान छोड़ गया
शहर की शिराओ में वह बहती थी माण्डवी नदी की तरह
उसकी सिलवटो में थी बला की हैरानियाँ
वह करवटें बदलता था हँस-हँस कर
रात भर बिजलियाँ चमकती थी चेहरे पर
वह शहर गायब हो गया और साथ ले गया
मेरी सारी बेचैनियाँ, छटपटाहटे, मुलाकात की मिन्नतें,
अब वह किसी नक़्शे में नहीं दिखेगा मुझे,
पुरातत्ववेत्ता बताएँगे कभी कि
यहाँ एक शहर हुआ करता था..
जो एक स्त्री की शिराओ में बहता था संगीत बन कर
डांस फ़्लोर पर थिरकते हुए शहर
अपना रूप बदल लेता था अक्सर
शहर को कभी नींद नहीं आती थी
कि उसका जीवन छल और धूर्त प्रेमियों से भरा था