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एक शे’र4 / अली सरदार जाफ़री
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एक शे’र
मुसहफ़े-रुख़<ref>चेहरे की किताब</ref> पे जो ज़ुल्फ़ों ने लिखा बिस्मिल्लाह
आयी ज़ंज़ीर के हल्क़ों की सदा, बिस्मिल्लाह
शब्दार्थ
<references/>