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एक संकल्प / शिवबहादुर सिंह भदौरिया

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अब न
अपने आपसे-
मैं छल करूँगा।

कठिन सत् की भूमिका से
अधिकतर
यूँ मुक्ति पाई,
जिस तरह भय-ग्रस्त होकर,
ओढ़ले
कोई रजाई;
अब न
जीवन-प्रश्न कोई
इस तरह-
मैं कल करूँगा।