एक समै जमुना- जल में सब मज्जन हेत,
धंसी ब्रज-गोरी।
त्यौं रसखानि गयौ मन मोहन लेकर चीर,
कदंब की छोरी।
न्हाई जबै निकसीं बनिता चहुँ ओर चित,
रोष करो री।
हार हियें भरि भखन सौ पट दीने लाला,
वचनामृत बोरी।
एक समै जमुना- जल में सब मज्जन हेत,
धंसी ब्रज-गोरी।
त्यौं रसखानि गयौ मन मोहन लेकर चीर,
कदंब की छोरी।
न्हाई जबै निकसीं बनिता चहुँ ओर चित,
रोष करो री।
हार हियें भरि भखन सौ पट दीने लाला,
वचनामृत बोरी।