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एक सिसकी हैं हम, हमेशा / समीर ताँती

तुम्हारे
आने के पहले
कोई न था,

न तुम्हारे
जाने के बाद
कोई रह जाएगा;

एक सिसकी हैं हम, हमेशा।

शिव किशोर तिवारी द्वारा मूल असमिया से अनूदित