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एक सुअर को ढोते हुए पहरेदार-1 / हो ची मिन्ह
Kavita Kosh से
चलते हमारे साथ
टांगे हैं पहरेदार सुअर एक कंधों पर
और मैं घसीटा जा रहा हूँ
बेरहमी से
सुअर से भी बदतर
बरताव किया जाता है आदमी से
स्वाधीनता खोते ही