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एक सुरीली शाम का जादू-2 / अनिल पुष्कर
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जलसे में ख़बरों के मालिक आए हैं
आख़िरी कतार में हैं मुल्क के बाशिन्दे
तरक्कीपसन्द क़लमकार बीच कतार में हैं
सुधीजनों से आगे बैठे हैं व्यापारी
इनसे भी आगे बौठे हैं -– मुल्क के नुमाइन्दे
और आगे मुल्क पे जाँनिसार कारिन्दे
आगे की कतार में हैं तरक्कीपसन्द
और उनके पीछे हिफ़ाजती दस्ते
और सबसे आगे –- संगीत बजाने वाले शातिर हत्यारे बैठे हैं
शान्तिलोक की मधुर धुनें फ़ैल रही हैं ।
और
कानों तक नहीं पहुँचती -- तेज़धार हथियारों की आवाज़ें ।