नदी
जो कभी
भरी थी यौवन से,
सदियों की
सभ्यताएं
करती थीं
अठखेलियाँ 
इसकी उर्मियों में;
अब 
सूख चुकी है
पूरी तरह
अवशेषित और 
लुप्त हो गयी है!
हाँ,
इसकी तलहटी में बसे 
गाँवों को 
बाढ़ का खतरा 
नहीं है अब;
"कर्मांशा" 
हार चुकी है!
लेकिन 
इसके दोनों ओर
हरे जंगल
और वन्य जीव 
भी लुप्त हो गए हैं;
समय के साथ 
अब किसी 
पूर्णिमा या
अमावस पर
नहीं लगता 
जमावड़ा 
दूर-दूर  से 
आये हुए 
जन सैलाबों का;
लेकिन 
इसके दोनों ओर
हरे जंगल
और वन्य जीव 
भी लुप्त हो गए हैं;
समय के साथ 
अब किसी 
पूर्णिमा या
अमावस पर
नहीं लगता 
जमावड़ा 
दूर-दूर  से 
आये हुए 
जन सैलाबों का;
लेकिन 
इसके दोनों ओर
हरे जंगल
और वन्य जीव 
भी लुप्त हो गए हैं;
समय के साथ 
अब किसी 
पूर्णिमा या
अमावस पर
नहीं लगता 
जमावड़ा 
दूर-दूर  से 
आये हुए 
जन सैलाबों का;
नदी के सूखने पर 
नष्ट हो जाती हैं 
सदियों की संस्कृति
और सूख जाया करती हैं 
सभ्यताएं!